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संजीव बिकचंदानी – Naukri.com के संस्थापक और भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के अग्रदूत |
संजीव बिकचंदानी: एक शिक्षक का बेटा जिसने Naukri.com से बदली भारत की नौकरी की दुनिया
🌟 भूमिका
भारत में इंटरनेट के शुरुआती दिनों में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि एक वेबसाइट लोगों की ज़िंदगी और करियर की दिशा बदल सकती है। लेकिन एक साधारण परिवार से आए, एक शिक्षक के बेटे संजीव बिकचंदानी ने यह कर दिखाया। उन्होंने ना सिर्फ भारत की पहली जॉब पोर्टल Naukri.com की नींव रखी, बल्कि लाखों युवाओं के करियर को नई राह दी। उनकी कहानी केवल एक उद्यमी की सफलता की नहीं है, बल्कि उस संघर्ष और धैर्य की है जिसने भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई पहचान दी।
👶 शुरुआती जीवन और शिक्षा
संजीव बिकचंदानी का जन्म 29 जून 1963 को दिल्ली में एक सामान्य परिवार में हुआ। उनके पिता सरकारी स्कूल में शिक्षक थे और माँ गृहिणी। बचपन से ही संजीव पढ़ाई में अच्छे थे। उन्होंने सेंट कोलंबस स्कूल, दिल्ली से शिक्षा प्राप्त की और फिर St. Stephen’s College से अर्थशास्त्र (Economics) में स्नातक किया।
उनकी असली उड़ान तब शुरू हुई जब उन्होंने IIM अहमदाबाद में दाखिला लिया। वहीं पर उन्होंने मैनेजमेंट और बिजनेस की गहरी समझ विकसित की।
💼 शुरुआती करियर की चुनौतियाँ
IIM से निकलने के बाद संजीव ने पारंपरिक नौकरी का रास्ता चुना। उन्होंने GlaxoSmithKline जैसी बड़ी कंपनियों में काम किया। लेकिन उनका मन हमेशा उद्यमिता (Entrepreneurship) की ओर खिंचता रहा।
1990 के दशक में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने पिता के घर के एक छोटे कमरे से उद्यमिता की शुरुआत की। यह रास्ता आसान नहीं था — सीमित पैसे, संसाधनों की कमी और अनिश्चित भविष्य। लेकिन संजीव ने हार नहीं मानी।
💡 Naukri.com की नींव
1996 में जब इंटरनेट भारत में नया-नया था, तब संजीव ने एक साहसी कदम उठाया। उन्होंने Naukri.com की शुरुआत की। उस समय लोग अखबारों के क्लासीफाइड सेक्शन में नौकरी खोजते थे। संजीव ने सोचा — क्यों न एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म बनाया जाए जहाँ नौकरी खोजने वाले और नौकरी देने वाले सीधे जुड़ सकें?
शुरुआत में यह आइडिया लोगों को अव्यवहारिक लगा, लेकिन संजीव का विश्वास अटूट था। धीरे-धीरे यह साइट युवाओं की पहली पसंद बन गई।
🚀 सफलता की उड़ान
Naukri.com को असली सफलता तब मिली जब 2000 के दशक की शुरुआत में इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने लगा। कंपनियाँ भी समझने लगीं कि ऑनलाइन जॉब पोर्टल से उन्हें सही टैलेंट जल्दी मिल सकता है।
संजीव ने मार्केटिंग और नेटवर्किंग पर खास ध्यान दिया। उन्होंने छोटे-छोटे ऑफिसों में जाकर Naukri.com का प्रचार किया। परिणाम यह हुआ कि देखते ही देखते Naukri.com भारत का सबसे बड़ा जॉब पोर्टल बन गया।
🌍 Info Edge और विस्तार
संजीव बिकचंदानी ने सिर्फ Naukri.com तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने Info Edge कंपनी के तहत कई और प्लेटफॉर्म शुरू किए —
- Jeevansathi.com (मैट्रिमोनियल साइट)
- 99acres.com (रियल एस्टेट पोर्टल)
- Shiksha.com (एजुकेशन पोर्टल)
इसके अलावा, उन्होंने Zomato और PolicyBazaar जैसे स्टार्टअप्स में शुरुआती निवेश किया, जिसने बाद में अरबों डॉलर की कंपनियों का रूप लिया।
🙌 प्रेरणा और विरासत
संजीव बिकचंदानी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने भारत के युवाओं को अवसर दिया। उनकी सोच थी — "अगर आप बड़े सपने देखते हैं और लगातार मेहनत करते हैं, तो सफलता जरूर मिलती है।"
आज वह सिर्फ एक सफल उद्यमी नहीं, बल्कि लाखों स्टार्टअप फाउंडर्स के लिए प्रेरणा हैं। उनकी कहानी बताती है कि अगर आप सही मौके को पहचानें और धैर्य रखें तो सपने हकीकत बन सकते हैं।
🔑 निष्कर्ष
संजीव बिकचंदानी की कहानी इस बात का सबूत है कि सपने छोटे कमरे से शुरू हो सकते हैं लेकिन उनकी गूंज पूरी दुनिया में सुनाई दे सकती है। एक शिक्षक का बेटा बनकर उन्होंने साबित किया कि जज़्बे और विज़न के बल पर भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम नई ऊँचाइयों को छू सकता है।
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