🇮🇳 N. R. Narayana Murthy: एक साधारण इंसान जिसने Infosys से बदली भारत की IT दुनिया
🌟 भूमिका
भारत में अगर किसी व्यक्ति को आईटी क्रांति का जनक (Father of Indian IT Industry) कहा जाए, तो वह हैं नागवरा रामाराव नारायण मूर्ति, जिन्हें दुनिया N. R. Narayana Murthy के नाम से जानती है।
वे वह इंसान हैं जिन्होंने भारत को दिखाया कि अगर आपके पास विज़न, धैर्य और मेहनत है तो आप न सिर्फ खुद का जीवन बदल सकते हैं बल्कि पूरे देश की दिशा बदल सकते हैं।
आज Infosys एक मल्टीबिलियन डॉलर आईटी कंपनी है, जो 55 से ज्यादा देशों में सेवाएं देती है और लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करती है। लेकिन इसकी नींव एक छोटे से कमरे और सिर्फ ₹10,000 से रखी गई थी।
आइए जानते हैं नारायण मूर्ति की जीवन यात्रा, संघर्ष, सपने और उनकी अद्भुत सफलता की कहानी।
👶 शुरुआती जीवन और शिक्षा
नारायण मूर्ति का जन्म 20 अगस्त 1946 को कर्नाटक के सिद्धलगट्टा नामक छोटे से शहर में हुआ।
वह एक ब्राह्मण परिवार से थे और अपने 8 भाई-बहनों में पाँचवें स्थान पर आते थे। उनके पिता पेशे से स्कूल टीचर और डॉक्टर थे।
चूँकि परिवार बड़ा था, घर की आर्थिक स्थिति बहुत तंग रहती थी। छोटी उम्र से ही उन्हें समझ आ गया था कि अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है।
उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग, मैसूर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1967 में डिग्री पूरी की।
इसके बाद उन्होंने IIT कानपुर में मास्टर्स इन टेक्नोलॉजी के लिए दाखिला लिया।
यहाँ उनका जीवन बदल गया।
IIT में एक सेमिनार के दौरान उन्होंने पहली बार Information Technology (IT) और उसके भविष्य के बारे में सुना।
उस दिन उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी ज़िंदगी को आईटी की दिशा में ही समर्पित करेंगे।
💼 करियर की शुरुआत और कठिन अनुभव
पढ़ाई पूरी करने के बाद मूर्ति को कई बड़ी कंपनियों से ऑफर मिले।
- TELCO (Tata Engineering and Locomotive Company)
- TISCO (Tata Iron and Steel Company)
- Air India
इनमें से किसी भी कंपनी में उन्हें ₹1000 से ₹2600 तक का पैकेज मिल सकता था।
लेकिन उन्होंने इसके बजाय IIM अहमदाबाद में रिसर्च एसोसिएट की नौकरी स्वीकार की, जहाँ उन्हें सिर्फ ₹650 महीना वेतन मिलता था।
लोगों ने कहा कि उन्होंने गलती की है, लेकिन मूर्ति का मानना था कि वहाँ उन्हें सीखने का अवसर मिलेगा।
वह हमेशा कहते थे —
"Career में पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण है सीखने का अवसर।"
🌍 विदेश यात्रा और सबसे कठिन दिन
साल 1974 में नारायण मूर्ति ने दुनिया घूमने का फैसला किया।
11 महीनों में उन्होंने लगभग 25 देशों की यात्रा की।
लेकिन उनका सबसे कठिन अनुभव हुआ बुल्गारिया (Bulgaria) में।
वहाँ उनका पासपोर्ट और पैसा चोरी हो गया। और एक गलतफहमी के कारण पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
तीन दिन तक उन्हें ठंडी और गंदी कोठरी में रखा गया।
यह घटना उनकी जिंदगी की सबसे कठिन और दर्दनाक याद रही।
लेकिन इसी अनुभव ने उनके भीतर एक उद्योगपति बनने का सपना और भी मजबूत कर दिया।
भारत लौटने के बाद उन्होंने अपनी पहली कंपनी Softronics शुरू की।
लेकिन यह कंपनी असफल रही और उन्हें बंद करनी पड़ी।
💕 सुधा मूर्ति और जीवन का मोड़
इन्हीं संघर्षों के बीच नारायण मूर्ति की मुलाकात सुधा कुलकर्णी से हुई, जो खुद भी एक प्रतिभाशाली इंजीनियर थीं।
दोनों के बीच प्यार हुआ और परिवार की सहमति से 10 फरवरी 1978 को उन्होंने शादी कर ली।
शादी के शुरुआती दिनों में नारायण मूर्ति की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी।
सुधा जी ने उन्हें हमेशा सहारा दिया और घर चलाने में मदद की।
खुद मूर्ति कहते हैं —
"मेरी सफलता के पीछे अगर किसी का सबसे बड़ा हाथ है, तो वह मेरी पत्नी सुधा का है।"
🚀 Infosys की नींव
साल 1981 में नारायण मूर्ति ने अपने 6 दोस्तों (जूनियर इंजीनियर्स) के साथ मिलकर Infosys की नींव रखी।
- उन्होंने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से ₹10,000 उधार लिए।
- अपने घर के एक छोटे से कमरे से काम शुरू किया।
शुरुआती साल बेहद कठिन रहे।
लगभग 8 साल तक कंपनी को कोई खास मुनाफा नहीं हुआ।
कई बार कंपनी बंद होने की नौबत आ गई।
लेकिन मूर्ति और उनकी टीम ने हिम्मत नहीं हारी।
आखिरकार एक विदेशी कंपनी ने उन्हें फंडिंग दी और Infosys ने उड़ान भरना शुरू किया।
आज Infosys भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी है।
यह 3 लाख से ज्यादा लोगों को रोजगार देती है और 55 से ज्यादा देशों में सेवाएं प्रदान करती है।
🏆 उपलब्धियाँ और सम्मान
नारायण मूर्ति को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले।
- पद्मश्री (2000)
- पद्म विभूषण (2008)
- Infosys बनी US Stock Exchange में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी
- Forbes की लिस्ट में दुनिया के सबसे अमीर लोगों में शामिल
आज उनकी कुल संपत्ति $5.2 बिलियन (लगभग 44,000 करोड़ रुपये) से भी अधिक है।
💡 नेतृत्व और कर्मचारियों के प्रति दृष्टिकोण
नारायण मूर्ति की सबसे बड़ी खासियत यह है कि उन्होंने हमेशा अपने कर्मचारियों को परिवार की तरह माना।
Infosys भारत की पहली कंपनी थी जिसने कर्मचारियों को ESOPs (Employee Stock Ownership Plans) के तहत कंपनी के शेयर दिए।
इससे Infosys के हजारों कर्मचारी करोड़पति बन गए।
वह कहते हैं —
"एक सफल कंपनी वही है जहाँ कर्मचारी कंपनी को अपनी मानें, सिर्फ नौकरी की जगह नहीं।"
🌍 व्यक्तिगत जीवन और सादगी
हालाँकि वह अरबों के मालिक हैं, लेकिन उनका जीवन बेहद साधारण और सादगीपूर्ण है।
- आज भी वह बेंगलुरु के उसी पुराने घर में रहते हैं।
- वह आज भी अपनी पुरानी कार इस्तेमाल करते हैं।
उनकी बेटी अक्षता मूर्ति की शादी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से हुई है।
इसके बावजूद मूर्ति दंपति हमेशा जमीन से जुड़े रहे।
🔑 सीख और प्रेरणा
नारायण मूर्ति हमेशा कहते हैं कि अगर आपको बड़ा बनना है तो शुरुआती दिनों में आपको हफ्ते में 70 से 90 घंटे काम करना होगा।
उनकी सोच है कि मेहनत और अनुशासन के बिना सफलता नामुमकिन है।
उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि—
- असफलता सफलता की सीढ़ी है।
- परिवार और सही साथी का साथ सफलता में बहुत अहम है।
- अगर आप ईमानदारी, सादगी और मेहनत के साथ काम करें तो कोई भी सपना बड़ा नहीं।
🚀 निष्कर्ष
N. R. Narayana Murthy सिर्फ Infosys के संस्थापक ही नहीं, बल्कि भारत के उन चुनिंदा नेताओं में से एक हैं जिन्होंने भारत की छवि पूरी दुनिया में बदल दी।
उनकी सफलता की कहानी हमें बताती है कि छोटे से कमरे से शुरू हुआ सपना दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन सकता है।
आज का युवा अगर उनकी सोच और मेहनत को अपनाए, तो निश्चित ही अपने सपनों को हकीकत बना सकता है।
👉 और शायद यही वजह है कि लोग उन्हें कहते हैं —
"The Father of Indian IT Industry."
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