राधाकिशन दमानी की जीवनी: DMart के संस्थापक और भारत के दिग्गज निवेशक की सफलता कहानी

राधाकिशन दमानी – DMart के संस्थापक और भारत के अरबपति निवेशक
Radhakrishna damani biography 


                

Introduction 🔥 

गरीब परिवार में जन्मे राधाकृष्ण दमानी जी अपने समय के दिग्गज और बड़ी ही नामचिन ट्रेड हुआ करते थे। जिनकी गैंग को बड़े- बड़े ट्रेड तक डरा करते थे। 

एक समय तो ऐसा भी आता है, जब वह हर्षद मेहता को हराकर बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमाते हैं, और स्टॉक मार्केट के नियम तक बदल डालते हैं। लेकिन आज के समय उन्हें भारत की सबसे बड़ी रिटेल चेन  डिमार्ट (Dmart) के संस्थापक के तौर पर जाना जाता है।

जिससे वह भारत के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बन पाए, और आज भी भारत के छठे सबसे अमीर व्यक्ति है। लेकिन यह रोते रात नहीं हुआ, जिस दौरान उन्हें कई बड़ी समस्याओका सामना तक करना पड़ा।

लेकिन सवाल यह आता है, कि क्यों उन्हें एक सफल ट्रेड होने के बावजूद, इसे छोड़ व्यवसाय में आना पड़ा ?  और कैसे अपने व्यवसाय को दो दशकों में ही इतना बड़ा बना दिया ? 

एक कमरे से शुरू होकर अरबपति बनने का उनक यह सफर, हर मोड़ पर व्यवसाय के कई महत्वपूर्ण चीजों को सिखाता है। जिसे मेरे साथ आगे जानिए ....


🧒 बचपन के दिन 

राधाकृष्ण शिवकृष्ण दमानी जी का जन्म 12 जुलाई 1955 को एक आम माहेश्वरी मारवाड़ी परिवार में होता है। जो कि मुंबई के एक ही कमरे वाले अपार्टमेंट में रहा करते थे। 

उन्हें अपना पूरा बचपन इस एक कमरे वाले अपार्टमेंट में बिताना पड़ता है और वह यहां से ही अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी भी करते हैं। 

उनके पिता दलाल स्ट्रीट में काम किया करते थे, जिस दौरान कई बार वह राधाकृष्ण को स्टॉक मार्केट के रिंग में लेकर जाया करते थे। 

अब वह बड़े हो गए थे, ओर स्कूली पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद अपना दाखिला कॉमर्स के पढ़ाई के लिए मुंबई यूनिवर्सिटी में लेते हैं, लेकिन पढ़ाई में कम रुचि होने के कारण वह एक ही साल में कॉलेज छोड़ देते हैं।


🕴️ पढ़ाई से दूरी - व्यवसाय का मौका

मारवाड़ी परिवार से होने के कारण पैसों के इस्तेमाल और व्यवसाय की समझ तो उन्हें विरासत में ही मिल गई थी। 

वह अपने कॉलेज को छोड़ने के तुरंत कुछ दिनों बाद बॉल बेरिंग का व्यवसाय करने में लग जाते हैं। अक्सर वह अपने इस व्यवसाय में नए-नए प्रयोग किया करते थे, जिससे कि वह अपने व्यवसाय को नहीं ऊंचाई पर पहुंच पाए। 


💪 जिम्मेदारी जिसने नए अवसर पैदा किए 

लेकिन वह अपने व्यवसाय को कुछ ही साल कर पाते हैं। क्योंकि अचानक ही उनके पिता की मृत्यु हो जाती है, जिस कारण अब पूरे परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ जाती है। 

इस समय उनकी उम्र 32 साल थी और अपने परिवार की जिम्मेदारी के कारण अब उनके पास अपने व्यवसाय में प्रयोग करने का वक्त नहीं बचता है। जिस कारण अब वह स्टॉक मार्केट में एक ब्रोकर के तौर पर काम करने लगते हैं, जिससे कि वह ज्यादा पैसे कम पाए और अपने परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर सके। 

लेकिन व्यवसाय से स्टॉक ब्रोकर बनने का यह सफर उनके लिए आसान नहीं होता है।

अब वह स्टॉक ब्रोकरेज के साथ ही मार्केट के निरीक्षण से इसे समझने में लग जाते हैं। जिस दौरान वह देखते हैं कि निवेशक पैसे लगाकर ज्यादा मुनाफा कमाते हैं, और यह भी समझ जाते हैं कि स्टॉक मार्केट सिर्फ नंबर का खेल नहीं है, बल्कि यह सही मायने में मनोविज्ञान और रणनीति का खेल है।


💣 निवेशक जीवन की शुरुआत 

अब तक प्राप्त किए जानकारी और समझ से वह यह अनुमान लगाते हैं, कि भले ही वह स्टॉक ब्रोकर के तौर पर ज्यादा पैसे ना कम पाए, लेकिन निवेशक बनकर वह बहुत ही ज्यादा पैसा कमा सकते हैं। 

जिस कारण अब वह निवेशक बनना चाहते थे। अब वह और भी गहराई से स्टॉक मार्केट को समझने में लग जाते हैं, दौरान कनेक्शन और जानकारी का स्टॉक मार्केट में कितना ज्यादा महत्व है, वह समझ गए थे।

अब वह दलाल स्ट्रीट में अपने नए कनेक्शन बनाने में लग जाते हैं। इस दौरान मनु माणिक का नाम वह बहुत ही ज्यादा सुना करते थे, जो की शॉर्ट सेलिंग यानी कि स्टॉक की वैल्यू को गिरा कर पैसे कमाए करते थे। 

शॉर्ट सेलिंग में की बहुत ही ज्यादा खतरा हुआ करता था और इसे करने के लिए स्टॉक मार्केट की गहराई से समझ होना आवश्यक थी, जिसमें की मनु मानिक को महारत हासिल थी। 

मनु मानिक हमेशा ऐसे ही स्टॉक को निशाना बनाया करते थे, जिसमें की ज्यादातर पैसा ऐसे ट्रेडर्स का हुआ करता था जो की लोन लेकर निवेश किया करते थे।

ऐसे ट्रेडर्स जब भी स्टॉक मार्केट का जरा सा भी दबाव आता था तब वह ट्रेड अपनी पोजीशन डर के मारे को छोड़ दिया करते थे, जिस कारण स्टॉक की कीमत धड़ाम से गिर जाती थी। और मन्नू मानीक इसमें बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमा लिया करता थे। 

वह कई बार अपनी चाल से मार्केट के दिशा को तक बदल दिया करते थे। जिस कारण सब लोग उन्हें कोबरा कहा करते थे।

मन्नू मानिक के साथ दमानी जी की पहली मुलाकात तभी हो गई थी, जब उनके पिता उन्हें दलाल स्ट्रीट थे साथमे लेकर आते थे। उनका मन्नू मनीक के साथ जुड़ना उनके लिए एक नई शुरुआत ही नहीं; वह उनके लिए सीखने का नया मौका था। 

वह मन्नू मानिक से मिलते हैं और अपने साथ रखकर सीखने के लिए मना लेते हैं। 

मन्नू मानिक उन्हें सबसे पहले यह बात बताते हैं कि, "स्टॉक मार्केट में डर और लालच का खेल चलता है और जो भी इस पर काबू पा लेता है, वही असली खिलाड़ी होता है।"

उनके इसी बात को अपना मूल मंत्र मानकर वह स्टॉक मार्केट में निवेश की शुरुआत करते हैं।


🪜 छोटे-छोटे कदम - धीरे-धीरे सफलता

मन्नू मानिक जी से कई और बातें सीखकर वह जल्द ही मुनाफा कमाने में लग जाते हैं। अब उन्हें स्टॉक मार्केट की अच्छी समझ हासिल होने के सतही, उन्हें इस खेल में महारत हासिल हो जाते हैं। 

दमानी और मनु मानी की यह जोड़ी पूरे स्टॉक मार्केट में तहलका मचा रही थी। जिस कारण अब दलाल स्ट्रीट पर सभी लोग दमानी जी को इज्जत भरी नजरों से देखने लगते है।

यह साल 1987 की है। जब एक बड़ा ही जोशीला युवा किसी स्टॉक के बारे में बहुतही बड़ा अनुमान लगाता है, और वह अपने इस अनुमान को स्टॉक मार्केट में सबको बताता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति उसकी यह बात सुन नहीं रहा था। 

लेकिन दूसरी तरफ दमानी जी हमेशा कोई बड़ा व्यक्ति हो या फिर कोई साधारण व्यक्ति हर किसी को गौर से सुना करते थे। जिस कारण वह इस युवा की बात सुनते हैं, अंत में उसका यहां अनुमान सच साबित होता है। यह युवा और कोई नहीं बल्कि राकेश झुनझुनवाला थे जिन्हें की आज के समय भारत के वॉरेन बफे कहा जाता है। 

उनके इस अनुमान को देखकर दमानी जी बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते, जिस मौके को देखते हुए राकेश उन्हें अपने साथ रखने के लिए मनाते हैं। जिसे मानते हुए दमानी जी उन्हें साथ में रखकर जिस तरह मन्नू मानिक उन्हें सिखाया करते थे, उसी तरह मार्केट के बारे में राकेश झुनझुनवाला को सिखाने लगते हैं। आगे चलकर उनकी यह गहरी मित्रता में बदल जाती है। 

इसी तरह मन्नू माणिक और दमानी जी के टीम में एक और नाम राकेश झुनझुनवाला जी का जुड़ जाता है। अब यह तीनों लोगों की जोड़ी मिलकर स्टॉक मार्केट में ऐसी- एसी रणनीति या बनाया करती थी, जिसने की पूरे स्टॉक मार्केट को हिला कर दिया था। 

जिससे कि उन्हें बड़े-बड़े ट्रेंड भी डरा करते थे, उन दिनों की सफलता को देखते हुए लोगों में स्टॉक मार्केट के बारे में समझ बदल गई थी, अब लोग समझ गए थे कि स्टॉक की कीमत घटने पर भी पैसा कमाया जा सकता है।

उन दिनों दमानी जी के सिर्फ सफेद शर्ट-पेट को ही पहनने के कारण, उन्हें लोगों में "व्हाइट मैन" के नाम से पहचान मिल जाती है


☁️  संकट के बदल - सबसे बड़ी मुश्किल

अब तक के जीवन में निवेशक के तौर पर उन्होंने स्टॉक मार्केट में कई बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना किया था। लेकिन हर्षद मेहता किसी तूफान की तरह, उनके लिए अब तक के निवेशक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती लाने वाला था।

हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट का वह नाम था, जिसका नाम सुनते ही ट्रेडर्स के कान खड़े हो जाते थे। वह हमेशा स्टॉक की कीमतों को ऊपर ले जाकर मुनाफा कमाता था। 

हर्षद के हर चाल को जादू की तरह माना जाता था। वह हर बार अपने नए-नए चाल से मार्केट को हैरान कर दिया करते थे। दूसरी तरफ दमानी जी अपने वसूल पर कायम रहते हैं। 

यह बात साल 1990 की है। जब दमानी जी की टीम यानी की "बियर कार्टेल" जब भी किसी स्टॉक की कीमत घटाने के हेतु से उसे पर शॉर्ट पोजीशन लिया करते थे, तब हर्षद उसकी कीमत को ऊपर ले जाकर बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमाता था। 

दूसरी तरफ दमानी जी और बियर कार्टेल  का बहुत ही ज्यादा नुकसान हो जाता था।

क्योंकि दोनों के स्टॉक में पैसे कमाने के तरीके अलग-अलग थे, जिस कारण इन दोनों में टकराव होना तो निश्चित ही था, और इस तरह के टकराव में हर बार हर्षद की ही जीत होती थी।

जिस कारण बियर कार्टेल का नुकसान बढ़ते जा रहा था। वह समझ नहीं पा रहे थे कि हर्षद निवेश करने के लिए पैसे कहां से ला रहा है। 

यह बात साल 1992 की है। जब उनके इस टकराव को देखते हुए इन दोनों में गहरी जंग होना तो निश्चित ही था और ऐसा होता भी है जब हर्षद ACC के स्टॉक की कीमत ₹200 से ₹9000 तक पहुंचा देता है, जिस कारन यह स्टॉक उनके लिए एक जंग का अखाड़ा बन जाता है। 

दमानी जी का नुकसान बढ़ती जा रहा था, और उनके सभी साथी अपनी पोजीशन छोड़ रहे थे। इस समय दमानी जी डरते नहीं है और अपने पास जितना भी पैसा होता है, उसके सतही अपने संपूर्ण संपत्ति को भी लगा देते हैं। 

क्योंकि यह उनके लिए सिर्फ पैसों का मामला नहीं होता है, यह अब तक के उनके स्टॉक मार्केट के गहरी समझ की परीक्षा होती है, दमानी जी यह समझ जाते हैं कि हर्षद का मार्केट को इस तरह इतना ऊपर ले जाना, किसी बबल की तरह है जो कि जल्द ही फूट जायेंगा।

जल्द ही हर्षित द्वारा किए गए घोटाले के बारे में सबको पता चल जाता है। जो कि उसने पैसों के लिए किया था, जैसे यह बात सामने आती है, डर के मारे ट्रेडर्स अपने स्टॉक को बेचने में लग जाते हैं। जिस कारण मार्केट में स्टॉक की कीमतें बड़ी तेजी के साथ गिरने लगती है।

जिस कारण ट्रेडर्स का इतना ज्यादा नुकसान हो जाता है, कि कई ट्रेडर्स रास्ते पर आ जाते हैं और कहीं तो आत्महत्या भी कर लेते हैं। बावजूद इसके दमानी जी इस अवसर का पूरा फायदा उठाते हैं, और एक ही महीने में ₹350 करोड रुपए की कमाई कर लेते हैं। लेकिन अब हर्षद के इस घोटाले के करण दलाल स्ट्रीट पर हर तरफ खामोशी छा जाती है।


🔚 निवेशक जीवन का "THE END"

हर्षद के चले जाने के बाद, केतन पारीक यह नया नाम मार्केट में उभरने लगता है। इसके ज्यादातर चाले हर्षद मेहता की तरह ही हुआ करती थी, जिस कारन वह समझ जाते हैं, कि यह कुछ ज्यादा दिन चलने नहीं वाला है। 

केतन पारीक जिस भी स्टॉक में निवेश किया करता था उसे के "K- 10" स्टॉक कहा जाता था। यह बात साल 1995 से 2001 की है। जब दमानी जी राकेश झुनझुनवाला के साथ मिलकर K- 10 स्टॉक को निशाना बनाने में लग जाते हैं। जिससे कि वह हर्षद मेहता की तरह इस बार भी बहुत ही ज्यादा मुनाफा कम पाए।

यह बात साल 2001 की है। जब मर्चेंटाइल बैंक घोटाला सामने आता है, जिस्मे की केतन पारीक का भी नाम होता है। जिसके बाद दमानी K- 10 स्टॉक को गिराने के लिए अपने टीम के साथ मिलकर शॉर्ट पोजिशनिंग चालू कर देते हैं। 

यहाँ पर वह अपनी अब तक की सबसे बड़ी गलती कर बैठे हैं, जो की वह इन्फोसिस जैसे अपने क्षेत्र की सबसे बड़े कंपनी के, स्टॉक पर भी शॉर्ट पोजीशन ले लेते हैं। जिस करण इन्फोसिस टॉक की कीमत एक ही दिन में 6% से गिर जाती है। जो की साफ स्टॉक में हेरा फेरी करने की तरफ इशारा कर रहा था। 

जिस करण मार्केट के रेगुलेटर्स की नजर दमानी जी राकेश जी और उनकी टीम पर पड़ती है, और जल्द ही उनको नोटिस भी मिल जाती है और रेगुलेटर द्वारा दमानी जी के तीनों इन्वेस्टमेंट फॉर्म पर शिकंजा कच दिया जाता है। 

इन सब में दमानी जी को अंदर से झंझोर कर रख दिया था। और वह समझ गए थे कि स्टॉक मार्केट का खेल अब पहले की तरह नहीं रहा है। जिस कारण अब वह स्टॉक मार्केट को छोड़ने का निर्णय लेते हैं। और धीरे-धीरे स्टॉक मार्केट से अपना कारोबार बंद करने में लग जाते हैं। 


🏰 नए साम्राज्य की शुरुआत 

अब वह स्टॉक मार्केट से बाहर निकलने तो लग जाते हैं, लेकिन अब वह ऐसे व्यवसाय के बारे में सोचने लग जाते हैं, जिसमें कि उन्हें स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव के बारे में सोचना न पड़े। 

उनकी नजर भारत में चल रहे, अव्यवस्थित बाजारों और रिटेल व्यवसाय पर पड़ती है, और वह इस व्यवसाय को समझ ने में लग जाते हैं। 

इस दौरान वह 'वॉलमार्ट' जो की दुनिया के सबसे बड़ी रिटेल चेन है। उसे समझने के लिए us जाते है और उसके बारे में अच्छे से अध्ययन करते हैं। जिससे कि उन्होंने ग्राहकों को समझा और साल 2002 में मुंबई में सबसे पहले 'डी मार्ट' की शुरुआत की।

स्टॉक मार्केट में जल्दी-जल्दी पैसे कमाने की उनकी आदत के कारण, उन्हें अपने व्यवसाय में धैर्य रखना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन वह जैसे-जैसे अपने धैर्य को बनाकर रखते हुए बड़े ही सूझबूझ के साथ अपने व्यवसाय को बढ़ाने में लग जाते हैं। 

उन्होंने सबसे पहले अपने ग्राहक और उनकी जरूरत को समझा, जो कि कम कीमत थी और वह अपने सूझबूझ से वस्तुओं की कम कीमत बनाकर रखने में सफल रहते हैं । 

उन्होंने अपने व्यवसाय को बढ़ाने में कभी भी जल्दबाजी नहीं की, जिसका ही यह नतीजा है, की आज जब भी किसी को कोई समन खरीदना होता है। तब उसके दिमाग में सबसे पहला नाम डिमार्ट ही आता है। 

पहले 8 सालों में यानी की 2010 तक उन्होंने 25 नए डिमार्ट स्टोर की शुरुआत की, और दूसरे 8 सालों में उन्होंने 175 नई डिमांड स्टोर खोलें और आज के समय डी मार्ट के स्टोर की संख्या 381 से भी अधिक है, जिस कारण वह भारत के सबसे बड़ी रिटेल चेन है।

आज के समय जह पर "बिग बाजार" रिटेल व्यवसाय में डूबने के कगार पर पहुंच गया है, वहीं आज तक उनका एक भी डी मार्ट स्मार्ट स्टोर बंद नहीं हुआ है और उन्हें अपनी इस व्यवसाय में जरा सा भी नुकसान नहीं उठाना पड़ा है।

उनके इन सब कदमों के वजह से आज के समय उन्हें "भारत का रिटेल किंग" कहा जाता है। 

यह दिलचस्प कहानी थी राधाकिशन दमानी जी की, जो आज 70 वर्ष की उम्र में भी निवेश और व्यवसाय की दुनिया में एक प्रेरणा बने हुए हैं। फ़ोर्ब्स के अनुसार उनकी कुल संपत्ति लगभग $19.9 बिलियन (करीब ₹1.6 लाख करोड़) है, जिसके चलते वे भारत के शीर्ष अमीर व्यक्तियों में गिने जाते हैं। रि

टायरमेंट के बाद भी वे सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं और परिवार व समाजसेवा को समय देना पसंद करते हैं।

यह दिलचस्प कहानी थी राधा कृष्ण दमानीजी की 


✨ निष्कर्ष 

राधाकिशन दमानी जी की जीवन यात्रा हमें यह सिखाती है कि सफलता केवल बड़े सपनों से नहीं, बल्कि सादगी, धैर्य और दूरदर्शिता से हासिल होती है। 

उन्होंने यह साबित किया कि बिना दिखावे के भी इंसान अरबों की संपत्ति कमा सकता है और फिर भी विनम्र बना रह सकता है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच्चाई में बदलना चाहता है।


✨ अगर आपको राधाकिशन दमानी जी की यह प्रेरणादायक कहानी पसंद आई हो, तो इसे ज़रूर शेयर करें और नीचे कमेंट में बताएं कि उनकी जीवन यात्रा से आपको सबसे बड़ी सीख क्या मिली।


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