Jensen Huang Life Story: From Immigrant Struggles to NVIDIA Billionaire


सोचिए… एक साधारण-सा लड़का, जिसकी जेब में न पैसे थे, न बड़े सपने पूरे करने का कोई आसान रास्ता। लेकिन उसके दिल में था कुछ बड़ा करने का जुनून और दिमाग में थी ऐसी कल्पनाएँ जो आने वाले कल की दुनिया बदल सकती थीं। 

यही लड़का बाद में बना — Jensen Huang, वह शख्स जिसने कंप्यूटर ग्राफिक्स की परिभाषा बदल दी और NVIDIA जैसी कंपनी खड़ी कर दी, जो आज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी की दुनिया की धड़कन बन चुकी है

उनकी कहानी केवल एक बिज़नेस जर्नी नहीं, बल्कि संघर्ष, मेहनत और दूरदर्शिता की वह मिसाल है, जिसे पढ़कर हर इंसान महसूस करता है कि अगर सपने सच्चे हों और हिम्मत अटूट, तो कोई भी इंसान असंभव को संभव बना सकता है।

👉 तैयार हो जाइए, क्योंकि अब आप पढ़ने वाले हैं उस इंसान की यात्रा, जिसने साबित कर दिया कि सच्ची क्रांति लैब्स में नहीं, सपनों में जन्म लेती है…



🧒 बचपन के दिन - सब सहन करते हुए आगे बढ़ता बच्चा

जेन्सेन हुआंग का जन्म 17 फरवरी 1963 को ताइवान के ताइपे शहर में होता है। उनके पिता हासिंग-ताई ऑइल रिफाइनरी में केमिकल इंजीनियर के तौर पर काम किया करते थे, जिस कारण कई बार उन्हें अपने रहने की जगह को छोड़कर नए शहरों में शिफ्ट होना पड़ता था। 

उनकी मां तसाई-ह्यू एक शिक्षिका थी और हर दिन वह डिक्शनरी से कुछ अंग्रेजी के शब्द चुनकर हुआ हुआंग को सिखाया करती थी। वह अपने दो भाइयों में सबसे छोटे थे। 

जब वह 5 साल के होते हैं, तब अपने पिता के रिफाइनरी के कम के कारण, उनका परिवार थाईलैंड रहने चला आता हैं और वहां  पर 4 साल रहते हैं। जिस दौरान वह बैंकॉक रूमरीड इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ा करते थे। 

यह बात साल 1960 के पहले की है। जब उनके पिता एक एयर कंडीशनिंग कंपनी के तहत प्रशिक्षण लेने के लिए US के न्यूयॉर्क शहर यात्रा के लिए जाते हैं। यहां से लौट के बाद वह अपने बच्चों को US पढ़ने भेजने का संकल्प ले लेते हैं।

1973 में उनके पिता उन्हें को अपने बड़े बेटे के साथ सिर्फ 9 साल की उम्र में टोकोमा, वाशिंगटन में एक चाचा के पास रहने के लिए भेज देते हैं। जिससे कि वह थाईलैंड में चल रही व्यापक सामाजिक अशांति से बच सके।

उनके चाचा चाचा कुछ दिनों पहले ही वाशिंगटन आकर बसे थे, जिस कारण गलती से वह हुआंग और उसके भाई का दाखिला, ओनिडा बापटिस्ट इंस्टिट्यूट में कर देते हैं। जो कि असल में परेशान युवा के लिए एक धार्मिक सुधारना अकादमी थी।

बावजूद उनके माता-पिता गलती से इसे एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल समझ लेते हैं, और इसका खर्चा उठाने के लिए वह लगभग अपनी सारी संपत्ति को तक बेच देते हैं।

जब हुआंग 10 साल के होते हैं, तब वह अपने भाई के साथ ओनेड़ा के छात्रावास में रहा करते थे। यहां पर हर छात्र से हर दिन काम करने की उम्मीद की जाती थी। जिस कारण उनके बड़े भाई को पासही के तंबाकू के खेत में काम करने के लिए नियुक्त किया जाता है।

क्योंकि हुआंग छोटे थे और वहां पर कम उम्र के बच्चों को कक्षा में पढ़ाया नहीं जाता था, जिस कारण उन्हें अलग से वहां के ही ओनिडा एलिमेंट्री स्कूल में पढ़ना पड़ता है।

स्कूल में उनके लंबे बाल, छोटा कद, भारी उच्चारण वाली अंग्रेजी को देखते हुए और एक एशियाई होने के कारण, अक्सर उन्हें धमकाया और मारा जाता था और ओनिडा में हर दिन उन्हें शौचालय को तक साफ करना पड़ता था।

बावजूद इन सबके उन्होंने टेबल टेनिस और अन्य खेल सीखने पर अपना लक्ष्य केंद्रित किया, जिस कारण वह इसमें माहिर खिलाफ बन गए थे। 

उनका रूममेट 17 वर्षीय एक ऐसा युवा था, जिसका की शरीर टैटू और चाकू के घाव से लटपट था ,और वह अनपढ़ था। हुआंग अक्सर होने वाली मारपीट से बचने के लिए, उसे पढ़ाने के बदले में उससे बेंच प्रेस और अन्य चीजों के बारे में सीखते थे, जिससे कि वह अपनी रक्षा कर सके।

हुआंग के US आने के 2 साल बाद उनके माता-पिता भी उस के ओरेगॉन राज्य के बिवरण  में आकर बस जाते हैं। इसके बाद उनका भाई ओनिडा के अपने स्कूल को छोड़कर, उनके पास रहने के लिए चला जाता है। 


🤕 कम उम्र - संघर्षमय जीवन

उन्हें 15 साल की उम्र में, स्थानिक डेनिस रेस्टोरेंट में वेटर और डिशवॉशर के तौर पर ने अपने जीवन का पहला काम मिलता है। 

इस दौरान वह ओरेगॉन राज्य के अलोहा शहर के अलोहा हाईस्कूल में दाखिला लेते हैं। जहां पर उनका शैक्षणिक प्रदर्शन बहुत ही ज्यादा उत्कृष्ट रहता है और वह 2 साल को छोड़ते हुए सिर्फ 16 साल के उम्र में ही ग्रेजुएट हो जाते हैं। 

हाई स्कूल के बाद वह, ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के राज्य में सबसे कम ट्यूशन फी होने के कारण वह यहां पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर इन और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते हैं।

कॉलेज में उन्हें एहसास होता है, कि क्योंकि वह कक्षा में सबसे कम उम्र के थे, जिस कारण वह अपनी कक्षा के विद्यार्थियों में किसी बच्चे की तरह नजर आते हैं। 

यहां पर पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी लोरी मिल्स से होती है, जो कि उनकी लैब पार्टनर हुआ करती थी। साल 1984 में वह 20 साल की उम्र में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त कर लेते हैं। 

डिग्री पूरी हो जाने के बाद वह सिलिकॉन वैली में माइक्रोचिप डिजाइनर के तौर पर काम करने लग जाते हैं। बावजूद इसके वह अपनी पढ़ाई को जारी रखते हैं, दरअसल वह काम के बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में नाइट क्लासेस में पढ़ाई किया करते थे। 

जिस दौरान टैक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, AMD और LSI कॉरपोरेशन इन जगहों पर  नौकरी मिलने के लिए, वह यहां पर इंटरव्यू देते हैं।

आगे AMD में उनकी पहचान होने के कारण उन्हें यहां पर चुन लिया जाता है। जहां पर उन्हें माइक्रो प्रोसेसर डिजाइनर के तौर पर नौकरी मिल जाती है। 


🪜 छोटे कदम - जो सफलता के पास ले गए

AMD में नौकरी करने के दौरान उन्हें LSI कॉर्पोरेशन में चल रही नई चिप प्रक्रियाओं के बारे में पता चलता है, जिस कारण वह LSI कॉरपोरेशन में टेक्निकल ऑफीसर की भूमिका निभाना चाहते थे। 

इसी वजह से AMD में चल रही अपनी नौकरी को छोड़ देते हैं, और सन माइक्रोसिस्टम्स नामक स्टार्टअप कंपनी के अंतर्गत काम करने लग जाते हैं, जिसका की कॉन्ट्रैक्ट LSI कॉरपोरेशन से होता है। 

अब यहां से उनकी जिंदगी नया मोड़ लेने वाली थी। यहां पर उनकी मुलाकात इंजीनियर क्रिस मालाचोस्की और क्रिटिक्स प्रीम से होती है। यह तीनों मिलकर नहीं ग्राफिक एस्सालरेटर कार्ड के निर्माण के काम पर लग जाते हैं। 

इस दौरान इन तीनों में अच्छी मित्रता हो जाती है।  वह कई साल ग्राफिक एस्सालरेटर के निर्माण के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।

यह बात साल 1989 की है। जब वह अपने एस्सालरेटर को अंतिम रूप देते हैं और वह इसे "GX ग्राफिक इंजीन" नाम देते हैं। 

ग्राफिक इंजिन को बहुत ही ज्यादा आर्थिक सफलता मिलती है, ग्राफिक इंजन के बिक्री के कारण जहां पर सन माइक्रोसिस्टम की कमाई साल 1997 में $262 मिलियन डॉलर थी, वही साल 1990 आते-आते 656 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाती है।

उनके इस सफलता को देखते हुए हुआंग का प्रमोशन LSI कोरवेयर के डायरेक्टर के तौर पर कर दिया जाता है। 


🔥 क्रांतिकारी मिशन - एनवीडीया की शुरुआत 

यह बात साल 1990 की है, जब सनमाइक्रो सिस्टम्स का व्यवसाय कम होता जा रहा था, और वह अपने दोनों साथियों के साथ खुद से पीसी गेम्स के लिए ग्राफिक चिप के निर्माण के हेतु से, अपने नौकरी से इस्तीफा दे देते हैं। 

यहां से ही एनवीडीया (NVIDIA) कंपनी के कहानी की शुरुआत होती है। वह अपने कंपनी की शुरुआत करते है, जिसके नाम एनविजन रखते हैं। जिसके बाद आगे हुआंग के कहने पर नाम बदल कर एनवीडीया कर दिया जाता है।

यह बात साल 1992 की है। जब हुआंग अक्सर अपने दोनों साथियों के साथ रोड के बाजू में स्थित डेनिस रेस्टोरेंट में मिला करते थे, वह यहां पर अपने व्यवसाय के बारे में चर्चा किया करते और आगे की रणनीति बनाया करते थे। आपको अगर याद होगा तो यह वही रेस्टोरेंट की चेन थी जहां पर हुआंग एक वक्त पर बर्तन साफ करने का काम किया करते थे। 

औपचारिक रूप से अपने कंपनी को शुरू करने के हेतु से, हुआंग जेम्स गिधर नमक वकील से मिलते हैं। यह बात 5 अप्रैल 1993 की है, जब हुआंग इनवीडिया के शुरू होने के दस्तावेज पर खुद से हस्ताक्षर करते हैं। 

LSI से नौकरी छोड़ने के बावजूद, वह इनके साथ अपना रिश्ता अच्छे से टिकाकर रखते हैं। जिस कारण LSI's के सीईओ विफ्रेड कोरिमेन हुआंग की मुलाकात डॉन वैलेंटाइन से करवाते हैं, जो की सिकोया कैपिटल के लीडर थे। 

जिससे कि उन्हें निवेश मिल सके, आखिरकार वैलेंटाइन एनवीडीया में निवेश करने के लिए राजी हो जाते हैं। हुआंग अपने साथियों में सबसे छोटे होने के बावजूद उन्हें कंपनी के पहले ही दिन से ही CEO के रूप में चुन लिया जाता है। 

कंपनी के द्वारा वह ग्राफिक चीप के विकास की दिशा में काम शुरू कर देते हैं, और साल 1995 में अपना पहला प्रोडक्ट "ग्राफिक एक्सीलेटर NV-1" को लॉन्च करते हैं। 

लेकिन NV-1 के मुकाबले बाकी कंपनियों के ग्राफिक एक्सिलरेटर और भी अच्छे से काम किया करते थे, और उनकी कीमत भी NV1 से बहुत ही ज्यादा कम हुआ करती थी। जिस कारण NV1 बुरी तरह से असफल रहता है, और इसके साथ ही वैलेंटाइन के निवेश किए गए सारे पैसे भी बर्बाद हो जाते हैं। 


⚡ असफलता जो कभी रोक न सकी

NV-1 की असफलता और वैलेंटाइन के सारे पैसे बर्बाद होने के कारण, अब उनके पास नया उत्पाद बनाने के लिए पैसा नहीं होता है, ओर अब कोई भी निवेशक उन्हें निवेश भी नहीं दे रहा था। 

इस दौरान सेगा (SEGA) कंपनी अपने गेमिंग प्रोजेक्ट के लिए ग्राफिक हार्डवेयर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एनवीडीया को देती है, जिसका की नाम वह "NV-2" रखते हैं। 

लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के नए बदलाव के कारण, उन्हें यह बात जल्द ही पता चल जाते हैं कि उनका नया ग्राफिक हार्डवेयर माइक्रोसॉफ्ट के कंप्यूटर में काम नहीं कर पाएगा। जो कि अब उनकी की पूरी मेहनत पर पानी फेरने वाला था। 

इसी कारण हुआंग दिलपर पत्थर रखते हुए सेगा कंपनी को ग्राफिक हार्डवेयर चिप निर्माण करने के लिए मन कर देते हैं। बावजूद इसके सेगा कंपनी के सीईओ उन्हें $5 मिलियन डॉलर देते हैं, क्योंकि इस दौरान एनवीडीया बहुत ही ज्यादा पैसों की कमी की समस्या से जूझ रही थी। 

पैसा मिलने के कारण अब वह नए चिप के निर्माण पर काम कर सकते थे, इसी कारण एनवीडिया कंपनी की डूबती नैया को बचाने का पूरा श्रेय सेगा कंपनी को दिया जाता है। 

यह बात साल 1997 की है। जब वह 6 महीने तक नए ग्राफिक चिप पर काम करते हैं। जिसका के नाम वह "RIVA 128" रखते हैं। यह 3D ग्राफिक्स के साथ ही 2D ग्राफिक्स को भी सपोर्ट करता था, जैसा कि उसे समय का कोई भी GPU कर नहीं सकता था।

जिस कारण यह उस समय के लिए एक क्रांतिकारी आविष्कार होता है, और अपने पहले की गई गलती को समझते हुए, इस बार वह अपने उत्पाद की कीमत कम रखते हैं, जिस कारण उनका यह उत्पाद बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो जाता है।

वह सिर्फ एक महीने में 10 लाख रीवा 128 चिप को बेच देते हैं। जो कि उनके लिए बहुत ही बड़ी सफलता होती है, जिसकारण पहली बार बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमाते हैं।

यहबात 90's के दशक की है। जब कंप्यूटर हार्डवेयर के निर्माण के क्षेत्र में 70 से भी अधिक कंपनियां होने के कारण, यहां पर बहुत ही ज्यादा प्रतियोगिता हुआ करती थी। 

लेकिन जल्द ही इस मुश्किल क्षेत्र में एक-एक करके सभी कंपनियां बर्बाद होना शुरू जाते हैं। लेकिन एनवीडीया जैसे-तैसे अपने अस्तित्व को बचाने में सफल रहती है, और उस समय सिर्फ यही एक कंपनी होती है जो मुनाफा कमा रही थी। 

कुछ साल बाद वह देखते हैं कि अमेरिका में उत्पादों को निर्माण करने का खर्चा ज्यादा होने के कारण, उनका मुनाफा घटता चल जा रहा हे।

इसके समाधान के तौर पर वह अपना डिजाइन TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) को देखकर उनके द्वारा चिप का निर्माण करते हैं,  जिस कारण उनका मुनाफा फिर से बढ़ जाता है।


💹 सफलता से विस्तार

यह बात साल 1999 की है। जब वह "G FORCE 256" नमक ग्राफिक कार्ड को लॉन्च करते हैं, जिस के पहली बार GPU कहां गया था, जो कि कंप्यूटर में कठिन टास्क संभालने के सतही गेमिंग एक्सपीरियंस को भी बढ़ा देता था। 

इन सब चीजों को देखते हुए साल 2000 में जब माइक्रोसॉफ्ट अपना पहला एक्सबॉक्स लॉन्च करने वाला था, तब इसके GPU के निर्माण का काम एनवीडीया को मिल जाता है।

यह बात साल 2000 की है। जब पहली बार उनका मुनाफा एक बिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है। जो कि अपने आप में बहुत ही बड़ी बात होती है।

अब तक उन्होंने अच्छे लोकप्रियता हासिल कर ली थी। जिस कारण एप्पल कंपनी अपने नए "POWER MAC G4" के लिए GPU बनाने का काम एनवीडीया को देती है। 

आगे वह अपने कई उत्पादों को बाजार में लाते हैं। ऐसे ही वह साल 2006 में CPU और GPU के साथ में काम न करने की समस्या को देखते हुए, अपने नए उत्पाद Cuba को बाजार में उतरते हैं। 

जिसे की GPU के काम करने के तरीके को तक बदल दिया था, दरअसल यह चीज एक ही काम को CPU से GPU में शिफ्ट करने की सुविधा देती थी। जिससे कि कंप्यूटर CPU और GPU को मिलकर काम कर पाए। 

इससे उनका यह उत्पाद बहुत ही ज्यादा सफल रहता है, और आजभी इसका इस्तेमाल क्रिप्टो मीनिंग, DEEP LEARNING और AI किया जाता है।

साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के कारण, उनके लिए यह साल बहुत ही मुश्किलों से भरा हुआ रहता है, और उनके शेअर की कीमतें बहुत ही ज्यादा गिर जाती है। 

चीज तो तब बिगड़ते हैं जब उनके द्वारा निर्मित दोषपूर्ण (डिफेक्टिव) GPU का इस्तेमाल एप्पल, DELL और HP के उत्पादों में किया जाता है, जिस कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिस कारण इन कंपनी का नाम खराब हो रहा था।

उन्हें इस दौरान ऐसे ही कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन जैसे तैसे वह इन समस्याओं को छुड़ाते हैं, जिस दौरान उनका 200 करोड़ का नुकसान हो जाता है।

इन् समस्याओं के बावजूद उन्होंने GPU निर्माण और गेमिंग से आगे बढ़कर, अपने व्यवसाय का विस्तार डाटा सेंटर, क्लाउंड कंप्यूटरिंग और AI मॉडल ट्रेनिंग तक कर दिया था। 

यह बात साल 2018 की है। जब क्रिप्टो मार्केट बुरी तरह से क्रश हो जाता है, जिस कारण अब उनके सीपीयू की बिक्री बहुत ही ज्यादा काम हो जाती है।

लेकिन इसके तुरंत कुछ साल बाद कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन लग जाता है, जिस कारण दुनिया भर में चल रही थी बड़ी-बड़ी कंपनियों तक बर्बाद हो जाती है। लेकिन दूसरी तरफ इनवीडिया की सप्लाई चैन रुक जाने के कारण, उनके सीपीयू की मांग तीन गुना तक बढ़ जाती है। जिस कारण वह अपने आप को बचाने में सफल रहते हैं।


⚡ सबसे तेज जिसने बनाया NO. 1

इन सब के दौरान ओपन AI, फेसबुक जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए एनवीडीया के सीपीयू और डाटा सेंटर का इस्तेमाल करती है। 

यह बात साल 2022 की है जब ओपन AI कंपनी लोगों के लिए चैट GPT को लॉन्च कर देती है। इसके बाद AI बड़े ही तेजी के साथ लोकप्रिय होने लगता है, जिससे कि दुनिया भर में AI BOOM के नाम से जाना जाता है। 

जिस कारण जहां पर 2021 तक एनवीडीया की ज्यादातर कमाई गेमिंग के क्षेत्र से आई थी, वह बदलकर 2022 में उनकी ज्यादातर कमाई डाटा सेंटर से आने लगती है 

इन सब के दौरान एनवीडीया कंपनी में बहुत ही तेज बढ़त देखी गई। जितनी तेजी से आज तक कोई भी कंपनी की बढ़ नहीं पाई है। एनवीडीया का मार्केट कैप सिर्फ 180 दिनों में एक ट्रिलियन से दो ट्रिलियन तक पहुंच जाता हैं। 

और जहां पर एप्पल कंपनी को $2 ट्रिलियन से $3 ट्रिलियन तक पहुंचाने के लिए 2 साल लग गए थे, वहीं  एनवीडीया दुनिया में सबसे तेज सिर्फ 96 दिनों में $2ट्रिलियन $3 ट्रिलियन तक पहुंच कर इतिहास रच दिया है। 


Jensen Huang की आज की संपत्ति और शानदार लाइफस्टाइल

आज की अगर बात करें तो हुआंग की उम्र 62 साल है, और आज भी वह एनवीडीया के सीईओ के स्थान पर कार्यरत हैं। 

एनवीडीया की ऐतिहासिक बढ़त के कारण हुआंग के संपत्ति में बहुत ही ज्यादा वृद्धि होकर 2025 तक उनकी कुल संपत्ति $120–150 बिलियन के बीच पहुँच चुकी है, जो उन्हें टेक्नोलॉजी के दिग्गज अरबपतियों में शामिल करती है।

इतनी बड़ी दौलत के बावजूद Huang की लाइफस्टाइल अलग अंदाज़ में चमकती है। उनके पास Hawaii में समुद्र किनारे सात-बेडरूम वाला आलीशान घर है, San Francisco के “Gold Coast” इलाके में $38 मिलियन का महलनुमा मकान, और Los Altos Hills में एक खूबसूरत हवेली।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि भव्य प्रॉपर्टीज़ और अरबों की दौलत होने के बावजूद Huang अपनी सादगी के लिए जाने जाते हैं। उनकी पहचान बनी है उनकी ब्लैक लेदर जैकेट और काम के प्रति अटूट जुनून से।

👉  सच यही है कि Jensen Huang की असली लग्ज़री सिर्फ उनकी संपत्ति नहीं, बल्कि वह जुनून है जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया।


✨ निष्कर्ष 

Jensen Huang की कहानी यह साबित करती है कि असली ताकत पैसे या बड़े अवसरों में नहीं, बल्कि उस दृष्टि और जुनून में होती है, जो इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। उन्होंने गरीबी और संघर्ष से निकलकर न सिर्फ एक कंपनी खड़ी की, बल्कि पूरी टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री का चेहरा बदल दिया।

आज भले ही उनके पास अरबों की संपत्ति और आलीशान लाइफस्टाइल है, लेकिन उनकी असली पहचान है — नवाचार (Innovation), मेहनत और सादगी। यही गुण उन्हें बाकी अरबपतियों से अलग और खास बनाते हैं।

👉 Jensen Huang हमें यह सिखाते हैं कि अगर सपने बड़े हों और मेहनत ईमानदार हो, तो दुनिया का कोई भी मंच आपके कदमों को रोक नहीं सकता।


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