
"Ritesh Agarwal – A small-town boy who turned his big dreams into OYO, a global success story."

रितेश अग्रवाल: एक छोटे कस्बे से अरबपति बनने तक का सफर
सोचिए, महज़ 18 साल का एक लड़का, जेब में पैसे नहीं, लेकिन सपनों में पूरी दुनिया समेटे हुए। लोग उसी उम्र में कॉलेज की पढ़ाई और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने में व्यस्त रहते हैं। लेकिन ओडिशा का एक लड़का अपने सपनों को हकीकत बनाने की ठान चुका था।
यही लड़का था रितेश अग्रवाल, जिसने अपनी लगन, जिद और मेहनत से एक ऐसी कंपनी खड़ी कर दी जो आज भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में जानी जाती है – OYO Rooms।
रितेश की कहानी सिर्फ बिज़नेस की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन सभी युवाओं के लिए सबक है जो मानते हैं कि बड़े सपने देखने वाले ही बड़ी सफलता हासिल करते हैं। साधारण परिवार, छोटे शहर से निकलकर, संघर्षों और असफलताओं से जूझते हुए उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी होटल चेन बनाने तक का सफर तय किया।
एक छोटे कस्बे का लड़का सिम कार्ड बेचने से लेकर अरबों की कंपनी का सीईओ बना। यह कहानी आपको न सिर्फ प्रेरित करेगी, बल्कि यह साबित भी करेगी कि हालात कभी भी आपकी मंज़िल तय नहीं करते — आपका हौसला और मेहनत ही आपकी किस्मत लिखते हैं।
📖 “रितेश अग्रवाल का बचपन: छोटे कस्बे से बड़े सपनों तक”
रितेश अग्रवाल का जन्म 26 नवंबर 1993 को ओडिशा के बीस्म-कटक नामक छोटे से कस्बे में मारवाड़ी परिवार में हुआ। वे पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता रायगढ़ में एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे। बचपन से ही रितेश बेहद जिज्ञासु और सीखने के इच्छुक थे।
जब वे चौथी कक्षा में पढ़ते थे, तब उनके स्कूल में नए-नए कंप्यूटर आए। उस समय छोटे बच्चों को कंप्यूटर इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं थी। लेकिन रितेश ने अपने शिक्षक से खास अनुरोध किया और कंप्यूटर चलाने की अनुमति प्राप्त की। यही वह मोड़ था जिसने उनकी जिंदगी की दिशा बदल दी।
कंप्यूटर के प्रति आकर्षण ने उन्हें प्रोग्रामिंग की दुनिया में खींच लिया। इसी दौरान उन्हें पहली बार "एंटरप्रेन्योर" शब्द सुनने को मिला। उन्होंने जब इसका मतलब जाना तो ठान लिया कि उन्हें भी एक दिन एंटरप्रेन्योर ही बनना है।
कम उम्र में ही वे छोटे-छोटे काम करने लगे। एक समय उन्होंने सिम कार्ड बेचकर जेब खर्च कमाया। यह दिखाता है कि रितेश शुरू से ही बिज़नेस माइंडसेट रखते थे।
💼 “IIT का सपना छोड़कर उद्यमिता की ओर: रितेश अग्रवाल की पढ़ाई और करियर की शुरुआत”
रितेश पढ़ाई में औसत छात्र थे। उनके घरवाले चाहते थे कि वे इंजीनियर बनें। इसी कारण वे 2009 में कोटा चले गए ताकि IIT की तैयारी कर सकें। लेकिन रितेश का मन हमेशा किताबों से ज्यादा नए-नए अनुभवों में लगता था।
कोटा में रहते हुए उन्होंने अपनी कमाई का उपयोग दिल्ली में होने वाले एंटरप्रेन्योरशिप समिट्स में भाग लेने में किया। इसके अलावा उन्हें घूमने का भी शौक था। उन्होंने सौ से ज्यादा जगहों की यात्रा की और 200 से अधिक होटल कमरों में ठहरे।
यहीं से उन्हें एक बड़ी समस्या दिखाई दी: सस्ते होटल तो बहुत थे, लेकिन उनकी क्वालिटी बेहद खराब थी। गंदे कमरे, घटिया सर्विस और कोई भरोसेमंद विकल्प नहीं। ग्राहकों को अच्छी क्वालिटी के साथ सस्ता ठहरने का विकल्प मिलना बेहद मुश्किल था। यही समस्या उनके बिज़नेस आइडिया की नींव बनी।
🏨 “कैसे Oravel Stays बना OYO Rooms: रितेश अग्रवाल का बड़ा कदम”
2012 में, महज़ 19 साल की उम्र में, रितेश ने अपने कोडिंग स्किल्स का इस्तेमाल करते हुए Oravel Stays की शुरुआत की। यह कुछ हद तक Airbnb जैसा प्लेटफ़ॉर्म था, जहाँ लोग अपने खाली कमरे या होटल सूचीबद्ध कर सकते थे। ग्राहक मोबाइल या कंप्यूटर से आसानी से सस्ते कमरे बुक कर सकते थे।
लेकिन यह सफर आसान नहीं था। होटल मालिकों को मनाना मुश्किल था और ग्राहकों की शिकायतें लगातार बढ़ रही थीं। रितेश ने हार नहीं मानी। वे लगातार घूम-घूमकर मार्केट समझते रहे, होटल मालिकों से मिलते रहे।
इसी दौरान उन्हें PayPal के संस्थापक पीटर थील की Thiel Fellowship के बारे में पता चला। यह फेलोशिप कॉलेज छोड़कर बिज़नेस करने वाले युवा उद्यमियों को मिलती थी। रितेश ने यह रिस्क लिया और IIT दिल्ली छोड़कर फेलोशिप के लिए अप्लाई किया।
नतीजा – वे एशिया से चुने जाने वाले पहले छात्र बने। उन्हें करीब $100,000 (करीब 84 लाख रुपये) मिले। यही पैसे उनके सपनों को पंख देने वाले साबित हुए।
2013 में उन्होंने Oravel का नाम बदलकर OYO Rooms रख दिया। शुरुआत में वे खुद होटलों के कमरों को सजाते, सुधारते और ग्राहकों से फीडबैक लेते। उनकी मेहनत रंग लाई और धीरे-धीरे गुड़गांव से लेकर पूरे देश में OYO का नेटवर्क फैलने लगा।
🚀 “OYO Rooms की सफलता की कहानी: भारत से दुनिया तक का सफर”
रितेश की सोच थी कि सस्ते होटल को भी ब्रांडेड होटल जैसा अनुभव दिया जाए। इसी विज़न के साथ OYO ने तेजी से विस्तार किया।
2015 तक OYO 100 से ज्यादा शहरों में फैल चुका था। इसी दौरान उनकी मुलाकात अभिनव सिन्हा से हुई, जिन्होंने उनकी टीम जॉइन की। दोनों ने मिलकर एक मज़बूत और टैलेंटेड टीम तैयार की।
OYO की सफलता ने बड़े निवेशकों को आकर्षित किया। जापान के मशहूर बिज़नेसमैन और सॉफ्टबैंक के संस्थापक मासायोशी सोन ने रितेश के विज़न को सराहा और भारी निवेश किया। कुछ ही सालों में OYO भारत की सबसे बड़ी होटल चेन बन गई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी छा गई।
🔻 “OYO का डार्क फेज़: भारी घाटे और विवादों की सच्ची कहानी”
लेकिन सफलता के साथ चुनौतियाँ भी आईं। तेजी से विस्तार करने की वजह से कई समस्याएँ खड़ी हो गईं। होटल मालिकों को किए गए वादे पूरे नहीं हो पाए। ग्राहकों को खराब सर्विस का सामना करना पड़ा। नतीजा – मुकदमे, शिकायतें और भरोसा खोना।
2019-20 में OYO को करीब 13,000 करोड़ का घाटा हुआ।
जैसे ही कंपनी संभलने की कोशिश कर रही थी, तभी कोरोना महामारी ने हालात और बिगाड़ दिए। होटल इंडस्ट्री ठप हो गई और OYO को हजारों कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ा। IPO लाने की कोशिश भी असफल रही। लोग कहने लगे कि OYO का अंत करीब है।
🔥 “OYO की शानदार वापसी: मुनाफे और ग्राहकों का भरोसा फिर से जीतना”
रितेश ने हार नहीं मानी। उन्होंने विस्तार की जगह मुनाफे और ग्राहकों की संतुष्टि पर ध्यान देना शुरू किया।
उन्होंने 2022 में 4,000 से ज्यादा होटलों को OYO से हटा दिया और सिर्फ उन्हीं पर ध्यान दिया जहाँ सर्विस बेहतर दी जा सके। इस कदम ने चमत्कार किया। कंपनी ने 2024 में 239 करोड़ का मुनाफा कमाया।
आज 31 साल की उम्र में रितेश अग्रवाल भारत के सबसे युवा अरबपतियों में शामिल हैं। उनकी कुल संपत्ति करीब $225 मिलियन (₹1,900 करोड़) है।
निष्कर्ष ✨
रितेश अग्रवाल की कहानी यह साबित करती है कि उम्र या संसाधनों की कमी कभी भी सफलता की राह में रुकावट नहीं बन सकती। एक छोटे से शहर से निकलकर, बिना किसी बड़े सपोर्ट के उन्होंने OYO जैसी ग्लोबल कंपनी खड़ी की। उनकी यात्रा हमें यह सिखाती है कि अगर सोच बड़ी हो और सपनों को साकार करने का जुनून हो, तो असंभव भी संभव हो जाता है।
रितेश ने अपने विज़न, नवाचार और संघर्षों से यह दिखा दिया कि भारत के युवा न सिर्फ़ अपनी ज़िंदगी बदल सकते हैं, बल्कि पूरी दुनिया पर असर डाल सकते हैं।
👉 यह कहानी हर उस इंसान के लिए प्रेरणा है, जो हालात से लड़कर अपनी मंज़िल पाना चाहता है।
🌟 Call to Action
अगर रितेश अग्रवाल की यह कहानी आपको प्रेरणादायक लगी हो, तो इसे दूसरों के साथ ज़रूर शेयर करें और अपनी ज़िंदगी में भी बड़ा सोचने की हिम्मत रखें। 🚀
📖 Success Diary के बारे में
Success Diary पर हम ऐसी ही सच्ची कहानियाँ और प्रेरणादायक यात्राएँ साझा करते हैं, जो आपको अपने सपनों को हकीकत में बदलने की शक्ति देती हैं। 🌍✨
0 टिप्पणियाँ