Deepinder Goyal Biography in Hindi | Zomato Founder Success Story

Deepinder Goyal - Founder & CEO of Zomato | Inspirational Success Story
दीपिंदर गोयल – Zomato को भारत की अग्रणी फूड डिलीवरी कंपनी बनाने वाले विजनरी उद्यमी

दीपिंदर गोयल की प्रेरणादायक कहानी: फेलियर से लेकर Zomato के साम्राज्य तक का सफर

कभी आपने सोचा है कि एक ऐसा बच्चा जो स्कूल में बार-बार फेल हो जाता था, वह आगे चलकर भारत की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी का संस्थापक और अरबों की संपत्ति का मालिक बन सकता है? यह कहानी है दीपिंदर गोयल की। मेहनत, लगन और सही समय पर सही कदम उठाने की वजह से आज उनका नाम देश के सबसे सफल उद्यमियों में गिना जाता है।

दीपिंदर गोयल की जिंदगी हमें यह सिखाती है कि असफलता कभी भी हमारी मंज़िल का अंत नहीं होती। बल्कि यह हमें और मजबूत बनाती है और सफलता की ओर ले जाती है। उनके संघर्ष और जोमैटो (Zomato) की रोमांचक यात्रा पढ़ते हुए आप खुद को उनसे जोड़ पाएंगे। तो चलिए, जानते हैं उनके जीवन की कहानी विस्तार से।


शुरुआती जीवन

26 जनवरी 1983 को पंजाब के मंसा जिले में दीपिंदर गोयल का जन्म हुआ। उनके माता-पिता दोनों शिक्षक थे। घर का माहौल पढ़ाई-लिखाई वाला था, लेकिन दीपिंदर को पढ़ाई में ज्यादा रुचि नहीं थी। कई बार उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। यहां तक कि छठी कक्षा में वह फेल भी हो गए।

लेकिन असली सफलता उन लोगों की होती है जो हार मानने की बजाय डटे रहते हैं। दीपिंदर ने भी ऐसा ही किया। धीरे-धीरे उन्होंने पढ़ाई में सुधार करना शुरू किया और दसवीं पास की। इसके बाद डीएवी कॉलेज, पंजाब में दाखिला लिया। वहां भी उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा और वह फिर से फेल हो गए।

इस असफलता ने उन्हें तोड़ा जरूर, लेकिन तोड़ा ही क्यों जाए जब इंसान अपने इरादों को और मजबूत कर सकता है। उन्होंने एक बार फिर से पढ़ाई पर ध्यान दिया और जी-जान लगाकर मेहनत की। नतीजा यह हुआ कि 12वीं के बाद वह देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी दिल्ली में दाखिला पाने में सफल रहे। यह वही बच्चा था जो बार-बार फेल होता था, और अब भारत के टॉप कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था।

2005 में दीपिंदर ने आईआईटी दिल्ली से मैथमैटिक्स और कंप्यूटर साइंस में डिग्री पूरी की।


करियर की शुरुआत

डिग्री पूरी करने के बाद दीपिंदर ने अपने करियर की शुरुआत बेन एंड कंपनी में बतौर कंसल्टेंट की। यह एक प्रतिष्ठित नौकरी थी। इस बीच उन्होंने अपनी क्लासमेट कंचन जोशी से शादी भी कर ली। उनके पास अच्छी नौकरी और अच्छा जीवनसाथी था। लेकिन उनका मन सिर्फ नौकरी में नहीं लग रहा था। उनके दिमाग में हमेशा नए-नए बिज़नेस आइडिया आते रहते थे।

एक दिन ऑफिस की कैंटीन में बैठे-बैठे उन्होंने देखा कि लोग मेन्यू कार्ड देखने के लिए लंबी कतारों में खड़े रहते हैं। उन्हें यह समस्या बेकार लगी और उन्होंने समाधान ढूंढ निकाला। उन्होंने कैंटीन के मेन्यू कार्ड को स्कैन किया और एक वेबसाइट बनाकर उसमें अपलोड कर दिया। अब लोग मोबाइल पर ही मेन्यू देख सकते थे। यह छोटा-सा आइडिया कामयाब हुआ और यहीं से दीपिंदर के भीतर का उद्यमी जाग उठा।

उन्होंने सोचा, क्यों न ऐसी वेबसाइट बनाई जाए जिसमें पूरे दिल्ली के रेस्टोरेंट्स और कैंटीन की जानकारी हो। इस काम में उनके दोस्त प्रसून जैन भी साथ आए। दोनों ने मिलकर Foodlet नामक वेबसाइट बनाई। लेकिन जल्द ही प्रसून जैन मुंबई चले गए और दीपिंदर अकेले रह गए।


Zomato की शुरुआत

जब मुश्किलें आती हैं तो नए रास्ते भी खुलते हैं। उसी समय उनकी मुलाकात आईआईटी दिल्ली के दोस्त पंकज चड्ढा से हुई। दोनों ने मिलकर एक वेबसाइट बनाई जिसका नाम रखा Foodiebay। यही वेबसाइट आगे चलकर Zomato बनी।

Foodiebay पर यूजर्स को रेस्टोरेंट्स के बारे में जानकारी मिलती थी—मेन्यू, कीमत, लोकेशन और लोगों की रेटिंग्स। शुरुआत में इसमें दिल्ली NCR के करीब 2000 रेस्टोरेंट्स जोड़े गए। धीरे-धीरे वेबसाइट लोकप्रिय होने लगी और फिर इसका विस्तार कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में किया गया।

लेकिन नौकरी करते हुए इस बिज़नेस को संभालना आसान नहीं था। 2010 में दीपिंदर ने कंसल्टेंट की नौकरी छोड़ दी और पूरा समय इस स्टार्टअप को देने लगे। उन्होंने वेबसाइट का नाम बदलकर Zomato रखा, ताकि यह छोटा, आकर्षक और खाने से जुड़ा लगे।

इसी साल उन्होंने Zomato का मोबाइल एप्लिकेशन भी लॉन्च किया, जिससे बिज़नेस और तेजी से बढ़ने लगा।


निवेश और तेजी से विस्तार

हर बड़े बिज़नेस को आगे बढ़ने के लिए फंड की जरूरत होती है। दीपिंदर ने भी निवेशकों की तलाश शुरू की। सबसे पहले Info Edge (Naukri.com के संस्थापक संजीव बिकचंदानी) ने Zomato में $1 मिलियन (करीब 4.7 करोड़ रुपये) का निवेश किया। इसके बाद 2010 से 2013 के बीच Info Edge ने करीब 143 करोड़ रुपये का निवेश किया।

इसके बाद कई बड़े निवेशक जुड़ते गए। अलीबाबा जैसी दिग्गज कंपनी ने भी करोड़ों रुपये का निवेश किया। इन पैसों से Zomato ने भारत के बाहर भी अपने पैर पसारने शुरू किए। उन्होंने यूएई, श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका, फिलीपींस, कतर, तुर्की, ब्राज़ील, न्यूज़ीलैंड जैसे देशों में बिज़नेस फैलाया।

Zomato ने कई विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण भी किया, जैसे पुर्तगाल की Gastronauci और अमेरिका की Nextable। इन अधिग्रहणों से Zomato का अंतरराष्ट्रीय विस्तार और मजबूत हुआ।


बदलाव और नई सेवाएं

शुरुआत में Zomato केवल रेस्टोरेंट्स की जानकारी देता था। लेकिन 2015 में कंपनी ने फूड डिलीवरी सर्विस शुरू की। इस कदम ने Zomato को पूरी तरह बदल दिया। अब लोग सिर्फ रेस्टोरेंट नहीं खोजते थे, बल्कि अपने घर तक खाना मंगवाते थे।

यही Zomato की असली उड़ान थी। इस सर्विस ने कंपनी को देश के हर कोने तक पहुंचा दिया। हालांकि, इस दौरान कई असफलताएं भी मिलीं।


संघर्ष और चुनौतियां

किसी भी सफलता के रास्ते में चुनौतियां जरूर आती हैं। Zomato भी इससे अछूता नहीं रहा।

कभी गलत अधिग्रहण के कारण कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ। कभी हालात ऐसे बने कि 300 से ज्यादा कर्मचारियों को नौकरी से निकालना पड़ा। 2016 में कंपनी को कई देशों से बाहर होना पड़ा क्योंकि मुनाफा बेहद कम था।

एक बार तो कंपनी का पूरा सिस्टम हैक हो गया और लाखों ग्राहकों का डेटा खतरे में पड़ गया। यह दीपिंदर के लिए बहुत बड़ा झटका था। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और इस समस्या को सुलझा लिया।

2020 में जब कोरोना महामारी आई तो Zomato का बिज़नेस बुरी तरह प्रभावित हुआ। कई देशों में उनका काम पूरी तरह बंद हो गया। लेकिन दीपिंदर ने हार नहीं मानी। उन्होंने कंपनी को डिजिटल और सुरक्षित डिलीवरी मॉडल पर केंद्रित किया और धीरे-धीरे फिर से खड़ा किया।


उपलब्धियां

आज Zomato भारत की सबसे बड़ी फूड डिलीवरी कंपनी है। जहां स्विगी की मार्केट हिस्सेदारी लगभग 45% है, वहीं Zomato की हिस्सेदारी करीब 55% है।

कंपनी की मार्केट कैप आज 2.8 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। दीपिंदर गोयल की नेटवर्थ लगभग 15,000 करोड़ रुपये है।


निष्कर्ष

दीपिंदर गोयल की कहानी यह साबित करती है कि असफलताएं कभी भी इंसान की सफलता को रोक नहीं सकतीं। छठी कक्षा में फेल होने वाला बच्चा आज करोड़ों लोगों की जिंदगी को आसान बना रहा है। उनका सफर हमें यह सिखाता है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत ईमानदारी से की जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

दीपिंदर गोयल और Zomato की यह यात्रा सिर्फ एक बिज़नेस कहानी नहीं है, बल्कि यह हर उस युवा के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को सच करना चाहता है।


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